कस्बा रसौली में मो रईस ने समाज सेवा कर मिशाल पेश की

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बाराबंकी जनपद के कस्बा रसौली में मो रईस ने समाज सेवा कर मिशाल पेश की मैले कुचैले कपड़े, स‍िर के बढ़े बाल, शरीर से आती बदबू और सड़क के क‍िनारे गुमसुम बैठे लोगों को अक्‍सर आप पागल समझते हैं।

कई बार आपने उन्‍हें दुत्‍कारा भी होगा। मगर रसौली के रहने वाले मो रईस उनके साथ बैठते हैं। हंसी-ठ‍िठोली करते हैं और उनकी द‍िल की बातें सुनते हैं। ऐसा इसल‍िए कि पागलों जैसे द‍िखने वालों की ज‍िंदगी संवार सकें। लखनऊ, बाराबंकी की सड़कों गुमनामी के अंधेरे में खो गए ऐसे लोगों की सूरत और सीरत बदलने के ल‍िए वह अपने साथ हमेशा इंसानियत रखते हैं। उनका मकसद है ‘पागलों’ का ‘इंसानों’ से र‍िश्‍ता जुड़ सके।

मो रईस कहीं भी निकलते हैं तो लोगों की मदद के लिए कुछ न कुछ जरूर करते हैं उनका सामना अक्‍सर ही ऐसे लोगों से होता है कभी उन्हें नहलाया कपड़े देना भूखे को भर पेट भोजन कराना यह सब वह अपने हाथों से खुद करते हैं।

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