हमें भगवान पर विश्वास और समर्पण का भाव रखना होगा:हेमदीप

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Aeznews  ब्यूरो

बाराबंकी /दरियाबाद के ग्राम बीकापुर श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन परम पूज्य कथा व्यास हेमदीप ने बताया कि अगर हमें इस संसार रूपी भवसागर से पार उतरना है, तो हमें अपने भगवान पर विश्वास और समर्पण का भाव रखना होगा। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा स्वयं भगवान के मुख से निकली हुई ज्ञानगंगा है, जिसमें सभी पुराणों का सार समाहित है। इसमें 12 सकंद 335 अध्याय और 18000 श्लोक वर्णित हैं। भागवत कथा में जो भी व्यक्ति जैसे भी संकल्प लेकर बैठता है, भागवत कथा उसे शुभ संकल्प में बदल देती है।
कथा सुनने वाला सब ओर से पवित्र हो जाता है। प्रेम रस से सींचा गया भागवत रूपी कल्पवृक्ष का मूल फल श्री बांके बिहारी जी की प्राप्ति है। इसे वही समझ सकता है, जो सत्य पर आडिग हो। जिस प्रकार राजा सत्यव्रत के साथ हुआ। एक बार उनसे लक्ष्मी रूठ गई, वह घर छोड़ कर चली गई कुछ दिनों पश्चात दान फिर सदाचार और अंत में सत्य ने भी राजा के राज पाठ को त्यागने का निश्चय किया, परंतु राजा सत्यव्रत सत्य पर आडिग रहा। इसके परिणाम स्वरूप लक्ष्मी दान सदाचार को फिर से वापस आना पड़ा। इन सब को समझने के लिए गुरु की आवश्यकता है, परंतु गुरु को ढूंढने के लिए पहले हमें स्वयं शिष्य बनना होगा। इस दौरान पंडित त्रिपुरेस शुक्ला, संदीप शुक्ला, बलराम शुक्ला, आदर्श, , परमानंद शुक्ला, व अन्य मौजूद थे।

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