मसौली बाराबंकी। रामानुरागी अकल निरजनी अनायी श्री रामानामी सनातन परम धर्म के तत्वाधान मे ग्राम याकुतगंज चल रही त्रिदिवसीय रामचरित मानस सिद्धांत के प्रवचन के तीसरे दिन प्रवचन कर्ता उदासीन महराज ने राम नाम मे गुरु की महिमा का बखान किया।
आयोजक वीरेंद्र कुमार वर्मा एव रेशमा कुमारी वर्मा प्रवचन कर्ता उदासीन महराज ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार बलशालियों में सर्वाधिक बलशाली राम हैं, लेकिन राम से भी बढ़कर राम का नाम है। असंख्य संत-महात्माओं ने राम का नाम जपते-जपते मोक्ष पा लिया। राम भक्त हनुमान, लक्ष्मण, सुग्रीव, से लेकर कबीर, तुलसी और गांधीजी तक सभी राम का नाम ही जपते रहे हैं, यही नहीं रावण ने भी अपने अंतिम समय में राम का नाम पुकारकर अपना लोक-परलोक सुधारा। राम नाम की महिमा के प्रभाव से पत्थर भी तैरने लगते हैं।
उन्होंने कहा कि जब लंका तक पहुंचने के लिए सेतु बनाया जा रहा था, तब सभी को संशय था कि क्या पत्थर भी पानी पर तैर सकते है, क्या तैरते हुए पत्थरों का बांध बन सकता है ? तब ऐसे में इस संशय को मिटाने के लिए प्रत्येक पत्थर पर राम नाम लिखा गया। सेतु बनने से पूर्व हनुमान जी भी सोच में पड़ गए कि बिना सेतु के मैं लंका कैसे पहुंच सकता हूं, लेकिन राम का नाम लेकर वह एक ही फलांग में समुद्र पार कर गए। कथा मे आसपास गांवो के तमाम भक्तगण मौजूद रहे।