रामायण काल से चर्चा में आए गिद्ध की प्रजाति धीमे-धीमे संरक्षण के अभाव में विलुप्त होती जा रही है

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मसौली बाराबंकी। रामायण काल से चर्चा में आए गिद्ध की प्रजाति धीमे-धीमे संरक्षण के अभाव में विलुप्त होती जा रही है, लेकिन मंगलवार को अचानक बड़ागांव में बड़ी संख्या में गिद्ध एक वृक्ष पर देखे गए तो ग्रामीणों में कौतूहल दिखाई दिया। बड़ी संख्या में ग्रामीण और किसान गिद्धों की प्रजाति को निहारने पहुंच गए और तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे थे।


चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सीएचसी बड़ागांव के पीछे बन रहे अमृत सरोवर के निर्माण मे लगे मजदूरों ने देखा कि एकाएक गिद्धों का एक झुंड पेड़ पर आ गया जो लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए है। दर्जनों की संख्या में उपस्थित गिद्धों को देखने के लिए आसपास के साथ राहगीरों की भीड़ उमड़ रही है। कुछ बुजुर्गों का कहना है गिद्धों की मौजूदगी वायुमंडल के स्वच्छ होने का प्रतीक है। तेजी से लुप्त हो रहे गिद्धों के इतने बड़े झुंड को देखकर पर्यावरण प्रेमियों में खुशी हैं।
बुजुर्गों ने बताया कि करीब दो दशक पहले अचानक गिद्धों की संख्या कम होने लगी। बीच में तो इन्हे विलुप्त मान लिया गया था। अब एक बार फिर से गिद्ध देखने को मिले हैं। कुछ युवाओं ने बताया कि वह तो परिवार के लोगों से ही इस पक्षी के बारे में सुने थे।

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